Mudra Kya Hai In Hindi? (मुद्रा क्या है, मुद्रा के प्रकार, कार्य, विशेषताए, पूरी जानकारी हिंदी में )

Mudra Kya Hai In HIndi : – मुद्रा, जिसे हम रुपए के रूप में भी जानते हैं, मानव जीवन के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। यह एक आवश्यक उपकरण है जो हमें वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार करने की अनुमति देती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तव में Mudra Kya Hai In Hindi और इसके प्रकार क्या है? यदि नहीं तो आज का यह लेख आपके लिए काफी मददगार साबित होने वाला है। 

Mudra Kya Hai
Mudra Kya Hai

आज के इस लेख के अंत तक आपको मुद्रा के बारे में एक बेहतर समझ विकसित हो पाएगी और आप यह समझ पाएंगे कि आखिर Mudra kya hai और इसकी क्या विशेषताएं हैं। तो आइए बिना देरी के लेख को शुरू करते हैं। 

मुद्रा क्या है? | Mudra kya hai In Hindi ? ( Mudra Ki Pribhasha)

मुद्रा विनिमय का एक माध्यम है जिससे वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान से जुड़े लेनदेन में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है। यह सिक्के, बैंक नोट और डिजिटल इकाइयों सहित कई अलग-अलग रूपों में आता है। 

मुद्रा एक बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक उपकरण है क्योंकि यह लोगों को वस्तु विनिमय प्रणाली की आवश्यकता के बिना वस्तुओं और सेवाओं का आदान प्रदान करने में सक्षम बनाता है।

आसान शब्दों में, कहें तो मुद्रा के माध्यम से हम किसी भी प्रकार की वस्तु और सेवा की खरीद बिक्री कर सकते हैं। किसी वस्तु लेने के बदले में हमें वापस से अपनी कोई वस्तु देनी नहीं पड़ती। 

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Mudra का इतिहास

हजारों वर्षों से मुद्रा का उपयोग मनुष्य द्वारा किया जा रहा है। मुद्रा के शुरुआती रूप सरल वस्तुएं थी जिनका उपयोग लोग वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार करने के लिए करते थे। उदाहरण के लिए, दुनिया के विभिन्न हिस्सों में संख, मोती और जानवरों की खाल का उपयोग मुद्रा के रूप में किया जाता था। 

लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे अलग-अलग सभ्यताएं विकसित हुई मुद्रा भी विकसित होती चली गई। शुरुआत में धातु के सिक्के के रूप में मुद्रा पेश किया गया उसके बाद 19वीं शताब्दी में कागज के नोट आए। आज हमारे पास 20 वीं सदी में डिजिटल मुद्राएं भी उपलब्ध है। 

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Mudra Ke Prakar (मुद्रा के प्रकार क्या है?)

मुद्रा की परिभाषा जानने के पश्चात आइए अब हम यह भी जान लेते हैं कि मुद्रा के प्रकार कौन-कौन से हैं। आपको कई अलग-अलग जगहों पर मुद्रा के कई प्रकार देखने को मिलेंगे। लेकिन हम यहां पर आपको मुद्रा के विभिन्न रूपों को बहुत ही आसान भाषा में बताने का प्रयास करेंगे।

मुद्रा को निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत किया गया है जो कि इस प्रकार हैं –

भौतिक मुद्रा

भौतिक मुद्रा मुद्रा के पारंपरिक रूपों को संदर्भित करती है। जैसे कि बैंक नोट और सिक्के। इसे हम मूर्त मुद्राएं भी कर सकते हैं। 

जिसका अर्थ है कि इसे मनुष्य द्वारा धारण किया जा सकता है और वस्तुओं और सेवाओं के लिए इस का आदान प्रदान किया जा सकता है। भौतिक मुद्रा किसी देश की सरकार या केंद्रीय बैंक द्वारा समर्पित होती है जो इसे उसका मूल्य देती है।

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फिएट मुद्रा

फिएट मुद्रा भी एक प्रकार की भौतिक मुद्रा है, जो सोने या चांदी जैसी भौतिक वस्तुओं द्वारा नहीं बनाई जाती है। इसका मूल्य सरकार के अधिकार और देश की अर्थव्यवस्था की स्थिरता पर आधारित होता है। यह मुद्रा नोटों सिक्कों को दोनों ही रूप में प्रदर्शित हो सकती है परंतु इसका प्रचलन सबसे ज्यादा पत्र मुद्रा के रूप में होता है।

फिएट मुद्रा को हम प्रादेशिक मुद्रा भी कहते हैं क्योंकि यह अपने उचित मूल्य के कारण नहीं बल्कि अपने अंकित मूल्य के कारण मुद्रा बनती है। 

उदाहरण के लिए, ₹1 का सिक्का ₹5 का सिक्का इत्यादि सेट मुद्रा है। क्योंकि इसके बनने में उतने मूल्य का इस्तेमाल नहीं किया गया है जितना मूल्य धातु पर अंकित है। 

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कमोडिटी मुद्रा

कमोडिटी मुद्रा एक ऐसे मद्रा होती है जो भौतिक वस्तुओं जैसे सोना या चांदी द्वारा बनाई जाती है। मुद्रा का मूल्य वस्तु के मूल्य से सीधे जुड़ा हुआ होता है। कमोडिटी मुद्राएं मिलना काफी दुर्लभ होता है। क्योंकि कमोडिटी मुद्राओं का मूल्य भी काफी अधिक होता है और यह काफी कम मात्रा में बनाई जाती है।

डिजिटल मुद्रा

डिजिटल मुद्रा एक मुद्रा के रूप को संदर्भित करता है जो पूरी तरह से डिजिटल दायरे में मौजूद है।

डिजिटल मुद्रा एक अमूर्त संपत्ति के रूप में देखी जाती है। यह मुद्राएं विकेंद्रीकृत होती हैं जिसका अर्थ है कि यह केंद्रीय बैंक के सरकार द्वारा स्वतंत्र रूप से संचालित होती है। 

क्रिप्टो करेंसी

क्रिप्टो करेंसी भी एक प्रकार की डिजिटल मुद्रा है जो मुद्रा इकाइयों की पीढ़ी को भी नियत करने और धन के हस्तांतरण को सत्यापित करने के लिए एंक्रिप्शन तकनीकों का उपयोग करती है। केंद्रीय बैंक से स्वतंत्र रूप से संचालित होती है और यह प्रकृति में विकेंद्रीकृत होती है। क्रिप्टो करेंसी के उदाहरण में बिटकॉइन, एथेरियम और लाइट कॉइन जैसी मुद्राएं शामिल है।

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी

दिसंबर 2022 में ही सेंट्रल बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा एक प्रकार की डिजिटल मुद्रा की शुरुआत की गई है। जिसे केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किया जाएगा और समर्थित किया जाएगा। इसका शार्ट फॉर्म सीबीडीसी है जो अभी भी विकसित किया जा रहा है। 

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मुद्रा के कार्य क्या क्या है?

मुद्रा के प्रकार जाने के बाद आइए हम मुद्रा के कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। 

मुद्रा के कार्यों को तीन भागों में बांटा गया है। जिसमें मुद्रा के प्राथमिक कार्य द्वितीयक कार्य और आकस्मिक कार्य शामिल है। इन तीनों कार्यों को भी अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया है। आइए इसके बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करते हैं।

मुद्रा के प्राथमिक कार्य

मुद्रा के प्राथमिक कार्य में दो कार्यों को शामिल किया गया है।

  • विनिमय का माध्यम

मुद्रा विनिमय का एक माध्यम है। यानी मुद्रा का सबसे पहला कार्य है वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद बिक्री में सहायता करना। सबसे पहले मुद्रा का उपयोग किसी भी सामान्य सेवा की खरीदारी के लिए या आदान-प्रदान के लिए ही किया जाता है।

  • मूल्य का मापक

मूल्य के माप के रूप में मुद्रा का कार्य भी एक प्राथमिक कार्य के रूप में शामिल किया जाता है। वास्तव में यह विनिमय के माध्यम के रूप में अपने कार्य का स्वाभाविक विस्तार है। मुद्रा हमें बाजार में खरीदी या बेची जाने वाली हर वस्तु सेवा या संपत्ति का मूल्य निर्धारित करने की अनुमति देता है। 

जिसके कारण ही हम किसी भी वस्तु का सही दाम चुका सकते हैं और उस वस्तु को ले सकते हैं।

द्वितीयक कार्य

मुद्रा के द्वितीय कार्य को गौण कार्य भी कहा जाता है। या ऐसे कार्य होते हैं जो मुद्रा को उनके प्राथमिक कार्यों को करने में सहायता प्रदान करते हैं। इसमें मुद्रा के तीन कार्यों को शामिल किया गया है

  • स्थगित भुगतानों का मान

मुद्रा का पहला द्वितीय कार्य यह है कि वह किसी भी वस्तु के भुगतान को भविष्य के लिए स्थगित कर सकता है। यानी कि कई बार हम कोई वस्तु या सेवा खरीदते हैं परंतु उस समय पर हमारे पास इतना मुद्रा नहीं होता कि हम उन वस्तु या सेवा का मूल्य चुका सके। तो ऐसे में हम ऋण का सहारा लेते हैं। तो ऋण संबंधित भुगतानों को मुद्रा के द्वितीय कार्य में शामिल किया गया है।

  • मूल्य का संचय 

मुद्रा के कार्यों में से एक कार्य मूल्य का भंडार भी करना है फुल सब इसका मतलब यह है कि मूल्य को समय के साथ रखा भी जा सकता है और भविष्य में सामान और सेवाओं की खरीद के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। मुद्रा के मूल्य में समय के साथ उतार-चढ़ाव हो सकता है लेकिन या आमतौर पर लंबी अवधि में अपने मूल्य को बरकरार रखता है।

  • मूल्य का हस्तांतरण

मुद्रा का तीसरा सहायक कार्य मूल्य का हस्तांतरण करना भी है। दरअसल मुद्रा के रूप में मूल्य का हस्तांतरण करना काफी सरल होता है। क्योंकि मुद्रा की स्वीकृति आसानी से कर ली जाती है और इसमें तरलता का भी गुण होता है।

आकस्मिक कार्य

मुद्रा के आकस्मिक कार्यों को पांच भागों में विभाजित किया गया है। आकस्मिक कार्य के माध्यम से मुद्रा देश के आर्थिक विकास में साथ देती है।

  • अधिकतम संतुष्टि 
  • राष्ट्रीय आय का वितरण 
  • साख का आधार
  • पूंजी की तरलता में वृद्धि 
  • शोधन क्षमता की गारंटी

तो यह मुद्रा के कुछ प्रमुख कार्य हैं।

Mudra kya hai से जुड़े सवाल और जबाब

मुद्रा क्या है उत्तर बताइए?

मुद्रा विनिमय का एक माध्यम है जिससे वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान से जुड़े लेनदेन में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है। यह सिक्के, बैंक नोट और डिजिटल इकाइयों सहित कई अलग-अलग रूपों में आता है। 

मुद्रा एक बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक उपकरण है क्योंकि यह लोगों को वस्तु विनिमय प्रणाली की आवश्यकता के बिना वस्तुओं और सेवाओं का आदान प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
आसान शब्दों में, कहें तो मुद्रा के माध्यम से हम किसी भी प्रकार की वस्तु और सेवा की खरीद बिक्री कर सकते हैं। किसी वस्तु लेने के बदले में हमें वापस से अपनी कोई वस्तु देनी नहीं पड़ती। 

मुद्रा क्या है, मुद्रा के प्रकार ?

मुद्रा की परिभाषा जानने के पश्चात आइए अब हम यह भी जान लेते हैं कि मुद्रा के प्रकार कौन-कौन से हैं। आपको कई अलग-अलग जगहों पर मुद्रा के कई प्रकार देखने को मिलेंगे। लेकिन हम यहां पर आपको मुद्रा के विभिन्न रूपों को बहुत ही आसान भाषा में बताने का प्रयास करेंगे।

भौतिक मुद्रा, फ़िएट मुद्रा, डिजिटल क्रिप्टो, कमोडिटी मुद्रा, सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा,

मुद्रा क्या है मुद्रा के क्या कार्य है ?

मुद्रा के प्रकार जाने के बाद आइए हम मुद्रा के कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। 
मुद्रा के कार्यों को तीन भागों में बांटा गया है। जिसमें मुद्रा के प्राथमिक कार्य द्वितीयक कार्य और आकस्मिक कार्य शामिल है। इन तीनों कार्यों को भी अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया है। आइए इसके बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करते हैं।

अंतिम विचार (Mudra kya hai)

आज के इस लेख में हमने जाना की Mudra kya hai? उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आपको मुद्रा से संबंधित सभी जानकारियां मिल पाई होगी। यदि आप इस विषय पर और भी जानकारियां पाना चाहते हैं तो कृपया हमें कमेंट करके जरूर बताएं। जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। 

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