भारत में पुराने समय में नारियों पर हो रहे अत्याचार और लड़कियों को गर्भ में ही मार देना आम बात हो गया। लेकिन इस रूढ़ीवादी विचारधारा से लोगों को उभारने के लिए सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आंदोलन शुरू किया। सरकार द्वारा यह आंदोलन चलाने के पश्चात समाज पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ा। ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों को बचाने को लेकर एक सकारात्मक भावना पैदा हुई।
सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आंदोलन को लोगो तक पहुंचाने और ग्रामीण क्षेत्रों में बेटियां को बचाने की जागरूकता फैलाने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए गए।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध | Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi
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आज के समय में भारत की बेटियां चांद पर जाने की बातें कर रही है। वहीं दूसरी तरफ भारत के कुछ पिछड़े इलाकों की बेटियां अपने घर से बाहर निकलने मे डर रही है। भारत की स्थिति से यह पता चलता है, कि भारत एक पुरुष प्रधान देश है।
आज के समय में भी लोगों की सोच नहीं बदल रही है। आए दिन देश में कन्या भ्रूण हत्या और महिलाओं पर हो रहे अत्याचार, शोषण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। और इसी कारण से हमारे देश की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है।
दूसरे देशों के लोग भी हमारे देश में आने के लिए डरते हैं। हालांकि आज के समय में शिक्षित वर्ग के परिवार ने कन्या भ्रूण हत्या जैसे मामले बहुत कम सामने आ रहे हैं। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कन्या भ्रूण हत्या का यह प्रचलन बंद नहीं हो रहा है।
हमारे महापुरुष स्वामी विवेकानंद जी ने भी कहा था, कि जिस देश में महिलाओं का सम्मान होगा। महिलाओं का आदर होगा वह देश हर समय प्रगति करेगा और जिस देश में महिलाओं का सम्मान नहीं होगा। उस देश की कभी भी प्रगति नहीं हो सकती।
समाज में बेटियों की दुर्दशा हो रही है। लगातार घट रहे लिंगानुपात समाज के लोगों की गंदी मानसिकता के कारण है। समाज में बेटा बेटी के प्रति फैली और समानता की भावना लिंगा अनुपात चेक करने का एक बेहतरीन नतीजा मान सकते हैं। आज कन्या को हत्या बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है। लोगों की सोच बेटियों को लेकर नहीं बदल रही है।
पृथ्वी पर मानव जाति का अस्तित्व होने में आदमी और औरत दोनों की समान भागीदारी थे। अकेले आदमी की वजह से पृथ्वी पर मानव जाति का अस्तित्व संभव नहीं था।
दोनों ही पृथ्वी पर मानव जाति के आश्रितों के साथ-साथ किसी भी देश के विकास के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं और यदि लोगों की सोच आदमी और औरत को लेकर समान हो जाए तो देश की उन्नति निश्चित है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान क्या है | Beti Bachao Beti Padhao Abhiyan
देश में लगातार घट रही लिंगानुपात को काबू पाने और बेटियों को सुरक्षा प्रदान करने साथ ही बेटियों को शिक्षित करने के उद्देश्य से इस अभियान की शुरुआत की गई है। शुरुआत में जिन जिलों में बेटियों की संख्या बहुत कम थी और ग्रामीण लोगों की सोच बहुत खराब थी। वहां पर इस अभियान की शुरुआत की गई। ताकि वहां बेटियों की दशा सुधर सके और बेटियों के प्रति लोगों की एक सकारात्मक सोच उत्पन्न हो सके। लेकिन उसके पश्चात यह अभियान पूरे देश में चला गया।
इस योजना के अनुसार बेटियों की शिक्षा के लिए उचित व्यवस्था की गई है। ताकि लोगों की सोच बदलने मैं मदद की जा सके सरकारी स्कूलों में बेटियों की पढ़ाई में भी कई छूट प्रदान की गई है। ताकि लोग बेटियों को शिक्षित करने के लिए जागरूक हो ग्रामीण लोगों में सोच बदलने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का प्रचार प्रसार किया जा रहा है।
जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कों और लड़कियों के बीच लोगों की असमानता और भेदभाव को पूर्णतया खत्म किया जा सके। यह योजना ग्रामीण लोगों को बेटियों को अपने पूरे जीवन में पूर्ण रूप से जीने का अधिकार है। इस बात का जिक्र करती है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का अर्थ और शुरुआत
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ एक प्रकार की आंदोलन है। इसका अर्थ है, कन्या शिशु को बचाओ उसे भ्रूण हत्या जैसी घटनाओं से दूर रखो और कन्याओं को शुरुआत से शिक्षित करो।
इस अभियान को भारत सरकार द्वारा कन्या शिशु को लेकर हो रहे, अत्याचार के प्रति जागरूकता का निर्माण करने के लिए तथा महिला कल्याण मे बेहतरीन शुरुआत करने के लिए चलाया गया है।
इस अभियान का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 22 जनवरी 2015 को हरियाणा राज्य के पानीपत जिले से करवाया था।
हरियाणा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आंदोलन की शुरुआत की थी क्योंकि उस समय हरियाणा मैं लिंगानुपात लड़कों की तुलना में लड़कियों की बहुत कम थी। उस समय में 1000 लड़कों पर 775 लड़कियां हैं जनगणना के अनुसार दर्ज की गई थी।
हरियाणा के अलावा कई अन्य जिलों में भी इस प्रकार की लिंगानुपात है। देश के करीब 100 जिलों में लिंगानुपात बहुत ज्यादा गड़बड़ आया हुआ है। वहां इस समय योजना को प्रभावी तरीके से लागू किया गया है। उसके पश्चात कुछ समय बाद इस योजना को पूरे देश में लागू कर दिया गया।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ महिला एवं बाल विकास मंत्रालय स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय उन सभी द्वारा मिलकर कन्या भ्रूण हत्या को रोकने तथा बेटियों को शिक्षित करने के लिए एक अनूठी पहल की है।
लड़कियों को सामाजिक स्थिति में भारतीय समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का शुभारंभ किया गया। इस योजना के माध्यम से ग्रामीण लोगों में बेटियों के प्रति सकारात्मक भावना पैदा करना है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के उद्देश्य | Beti Bachao Beti Padhao Ka Udeshay
भारत सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आंदोलन की शुरुआत करने से पहले से कई उद्देश्य सोचे गए। उसी उद्देश्यों को पूरा करने के आधार पर इस अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हरियाणा के पानीपत जिले से की गई। हालांकि आज के समय में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान पूरे देश भर में चलाया जा रहा है।
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के अंतर्गत ग्रामीण लोगों में बेटियों के प्रति रूढ़िवादी मानसिकता को बदलना तथा कन्या भ्रूण हत्या को रोकना इसका मुख्य उद्देश्य हैं।
- बालिका शिक्षा के प्रति ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ पूरे देश भर में लोगों की सोच बदलना तथा बालिका शिक्षा को आगे बढ़ाना इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है।
- इस आंदोलन के तहत लड़कों तथा लड़कियों में हो रहे भेदभाव की भावना को पूरी तरह से नष्ट करना था। गांव में लड़कों और लड़कियों में भेदभाव जैसी समस्याएं ज्यादा है। इसीलिए इस योजना की शुरुआत कर के लड़कों को लड़कियों में भेदभाव को पूर्णतया खत्म करना है।
- इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य हर लड़की को शिक्षित बनाना है और हर परिजनों को लड़कियों के प्रति सोच बदलवाना है।
बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की जरूरत क्यों पड़ी
हमारे भारत देश में पौराणिक संस्कृति है धर्म कर्म और स्नेह का देश माना जाता है। लेकिन जब से भारतीय संस्कृति में तरक्की होना चालू हुई है और नई तकनीकों का रिचार्ज हुआ है।
तब से लोगों की मानसिकता पर बहुत बड़ा बदलाव आया है। इस बदलाव में लोगों की सोच पर कई तरह से सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव भी पड़े हैं। इस बदलाव के कारण जनसंख्या की दृष्टि से बहुत बड़ा उथल पुथल देखने को मिला है।
लोगों की मानसिकता लड़कियों को लेकर बहुत खराब हो गई है। लड़कों और लड़कियों में भेदभाव की समस्या उत्पन्न हुई है। यह बेटियों को एक वस्तु के समान मानने लगे हैं कई ऐसे लोग भी हैं। जो बेटे के जन्म पर बहुत खुशियां मनाते हैं और गांव में मिठाइयां भी भरते हैं।
लेकिन बेटी के जन्म पर पूरे घर में सन्नाटा फैल जाता है। जैसे कोई विकट परिस्थिति आ गई हो बेटी को पराया धन मानते हैं। क्योंकि 1 दिन बेटियां शादी करके दूसरे घर जाने के लिए मजबूर होती है।
इस प्रकार से कई प्रकार की असमानता है लड़कों का लड़कियों में फैली हुई है। इसी असमानताओं के कारण कई लोग लड़कियों के जन्म के पश्चात एक कन्या भ्रूण हत्या जैसी घटनाएं उत्पन्न करते हैं।
लोगों की गिरी हुई मानसिकता बेटियों को समाज में उठकर और स्वतंत्र तौर पर पढ़ने लिखने की इजाजत नहीं देती है। कई लोग बेटियों पर किसी प्रकार का खर्च नहीं करना चाहते हैं।
उनकी मर्जी से किसी भी कार्य को करने के लिए बेटियों को आजादी नहीं दी जाती है। कुछ जगह में बेटियों को घर से बाहर निकलने पर भी पाबंदी लगाई जा रही है। दूसरी तरफ बेटों को बहुत ज्यादा लाड प्यार और शिक्षा के लिए देश-विदेश में भेजा जाता है। इस प्रकार के भेदभाव से छुटकारा पाने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आंदोलन की शुरुआत करना भारत में बहुत जरूरी हो गया था।
बेटी बचाओ बेटी पढाओ जागरूकता अभियान
बेटी बढ़ाओ बेटी पढ़ाओ एक ऐसा अभियान है। जिसके अंतर्गत कन्या भ्रूण हत्या को रोकना तथा देश की बेटियों को शिक्षित करना इसका मुख्य उद्देश्य है। इस योजना को भारत सरकार द्वारा वर्ल्ड जनवरी 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन काल में इस योजना की शुरूआत हुई। कन्या शिशु के लिए जागरूकता का निर्माण करने के लिए तथा महिला कल्याण को मध्य नजर रखते हुए इस योजना को शुरू किया गया।
इस योजना को एक अभियान के तौर पर लेते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता फैलाने के लिए सरकार द्वारा कई बड़ी-बड़ी गतिविधियां की गई। जिसमें बड़ी रैलियां निकालकर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का प्रचार प्रसार किया गया। इसके अलावा टीवी विज्ञापनों के जरिए भी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को बढ़ावा दिया। दीवारों पर पेंटिंग बनाकर लोगों में जागरूकता फैलाने की कोशिश की गई।
देश की बेटियों की आने वाली जिंदगी में सुधार करने के लिए हमारे देश मैं इस योजना की शुरूआत की गई। ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत ही सुरक्षित वातावरण और लड़कों पर लड़कियों के बीच भेदभाव की समस्या खत्म हो जाए।
जब से इस अभियान की शुरुआत हुई है समाज के हर वर्ग के लोगों में काफी ज्यादा जागरूकता रैली है। हमारे समाज में ऐसे कई घर है। जो अपने घर में बेटों व बेटियों को संभाल नहीं मानते हैं।
बेटों व बेटियों को बराबर का दर्जा नहीं देते हैं। लड़कों व लड़कियों में भेदभाव किया जाता है। लड़कियों को परिवार के सुख प्रदान नहीं होते हैं। साथ ही लड़कियों पर कई प्रकार की पाबंदियां लगाई जाती है़। लड़कियों को कई प्रकार की छूट परिवार के द्वारा नहीं मिलती है।जिसकी लड़कियां पूर्ण रुप से हकदार होती है।
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