मकर संक्रांति कब मनाया जाता है | महत्व, मुहूर्त और इतिहास (Makar Sankranti History or Story In Hindi)

Makar Sankranti :- नमस्कार दोस्तों RishabhHelpMe Blog में आपका स्वागत है, दोस्तों भारत में हर साल अनेकों त्योहार मनाए जाते हैं और उन्हीं में से एक त्यौहार मकर सक्रांति भी है,, जो भारत का सबसे प्रमुख त्योहार माना जाता है। भारत ही नही बल्कि विदेशों में भी मकर संक्रांति को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।

मकर सक्रांति के इस पर्व को भारत में अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नाम से लोग जानते हैं और अलग-अलग तरीकों से इसे मनाते भी हैं। इसी वजह से आज हम इस लेख में जानेंगे की मकर संक्रांति कब मनाया जाता है, इसका क्या महत्व है, मकर सक्रांति का शुभ मुहूर्त क्या है तथा इसकी पूजा विधि क्या होती है और मकर सक्रांति के पीछे की पौराणिक कथाएं व कहानियां क्या है।

मकर संक्रांति का महत्व, मुहूर्त और इतिहास (Makar Sankranti History or Story In Hindi)
मकर संक्रांति का महत्व, मुहूर्त और इतिहास (Makar Sankranti History or Story In Hindi)

मकर संक्रांति का महत्व, मुहूर्त, इतिहास, शायरी, स्टेटस हिंदी में | (Makar Sankranti History, Story, Shayari, Whatsapp Status In Hindi)

Makar Sankranti Muhurat 2023 Subh Samay

मकर संक्राति की शुरुआती दिनांक 14 जनवरी २०२३ 8:43
मकर संक्रांति की पुन्य काल मुहरुत 15 जनवरी की सुबह 6:47 से 5:40
पुण्य काल अवधि 4 घंटे 26 मिनट तक
मकर संक्रांति महापुण्य काल मुहुरुत सुबह 07:15 से 09:06 तक

मकर सक्रांति का महत्व | Makar Sankratni Mahatav |

हिंदू धर्म के अनुसार मकर सक्रांति के पर्व को शुभारंभ कहा जाता है। ऐसी मान्यता है, कि जब सूर्य देव पौष महीने में धनु राशि को त्याग कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब इस दिन को मकर सक्रांति के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

ऐसा कहा जाता है, कि इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता हैं, यही वजह है कि इस पर्व को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। इतना ही नहीं  इस दिन रातें छोटी और दिन बड़ी होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन ध्यान,  तप, जाप तथा अन्य धार्मिक क्रियाकलापों का बहुत महत्व होता है।

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मकर सक्रांति के इस पावन त्यौहार के दिन माना जाता है, कि जरूरतमंदों तथा ब्राह्मणों को सूर्य देव की पूजा और गंगा स्नान के बाद चावल, तिल, गुड़ तथा वस्त्रों का दान करना चाहिए।

इसके अलावा इस दिन तिल का सेवन करने का बहुत महत्व होता है यही वजह है ,कि इस दिन की शुरुआत दही, चूड़ा और तिलकुट खाकर किया जाता है। इतना ही नहीं ऐसा भी माना जाता है, कि इस समय यानी उत्तरायण में शरीर का त्याग करने से मोक्ष की प्राप्ति निश्चित है। इसके पीछे ऐसी कहावत है, कि भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर ही अपने प्राण त्यागे थे।

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मकर सक्रांति का शुभ मुहूर्त | Makar Sankranti Ka Subh Samy |

हर साल के शुरुआती महीने यानी जनवरी में मकर संक्रांति का त्योहार देश भर में बहुत ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस साल भी 15 जनवरी को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा।

मकर सक्रांति के मुहूर्त की शुरुआत 14 जनवरी 2023 को 8:45 से हो जाएगा और इसका पुण्य काल मुहूर्त 15 जनवरी को सुबह 6:45 से 5:40 तक रहेगा। पुण्य काल की अवधि 4 घंटे 26 मिनट तक रहेगी और महा पुण्य काल का मुहूर्त सुबह 7:15 से 9:06 तक रहेगा।

मकर सक्रांति की पूजा विधि | Makar Sankrani Puja Vidhi |

वैसे तो हर धर्म और समुदाय में मकर सक्रांति मनाने की विधि अलग-अलग होती है। लेकिन कुछ चीजें या बातें ऐसी हैं, जो हर धर्म और समुदाय के लोग एक जैसा ही करते हैं। जिनके बारे में हम यहां चर्चा कर रहे –

मकर सक्रांति के इस पावन दिन में शुभ मुहूर्त के अंतर्गत स्नान, पुण्य व दान करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन लोग गुड और तिल लगाकर किसी भी पावन नदी में स्नान करते हैं और फिर भगवान सूर्य को जल चढ़ाते हैं, उनकी पूजा अर्चना करते हैं और उनसे अपने उच्च भविष्य के लिए प्रार्थना करते हैं। पूजा करने के बाद सबसे महत्वपूर्ण चीज दान करना होता है। जी हां इस पावन दिन पर कपड़े, फल, गुड़, तिल आदि गरीबों, जरूरतमंदों और ब्राह्मणों में दान कि जाती है। 

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कई जगह इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा भी है, खास तौर पर गुजरात में इस दिन पूजा के बाद पतंग प्रतियोगिता रखी जाती है। मकर सक्रांति के इस दिन विशेषकर तील से बने व्यंजनों का ही सेवन किया जाता है और कई जगह खिचड़ी बनाकर भगवान सूर्य देव को भोग चढ़ाया जाता है और घर परिवार खिचड़ी का सेवन करते है तथा दान के रुप में भी खिचड़ी दी जाती है इसी वजह से इस पर्व को खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है। इसी दिन किसानों के द्वारा फसलें काटी जाती है, इसलिए इसे  फसल पर्व के नाम से भी जाना जाता है।

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मकर सक्रांति पूजा से मिलने वाले लाभ | Makar Sankranti Ke Labh |

मकर संक्रांति का त्योहार जितना धूमधाम से देश भर में मनाया जाता है, जितना इस पर्व का महत्व है, उतना ही इस पर्व से लाभ भी प्राप्त होता है जिनके बारे में हम यहां चर्चा करने वाले हैं।

  • मकर सक्रांति के इस महीने में किए गए सारे कार्यों का परिणाम पॉजिटिव होता है, सारे कामों में सफलता मिलती है।
  • मकर सक्रांति की पूजा में शरीर के आध्यात्मिक में भावना वृद्धि होती है और यह शरीर के आध्यात्मिक भावना को शुद्ध करती है।
  • ऐसा कहा जाता है, कि ब्रह्मांड में बुद्धि और चेतना के स्तर में वृद्धि होती है, इसलिए मकर सक्रांति की पूजा करते हुए उच्च चेतना का लाभ आप प्राप्त कर सकते हैं। 

मकर सक्रांति की पौराणिक कथाएं व कहानियां | Makar Sankranti Story In Hindi |

मकर सक्रांति के त्योहार के पीछे बहुत सी ऐसी पौराणिक कथाएं और कहानियां हैं, कुछ मान्यताएं हैं जो धार्मिक लोग मानते हैं। किसी भी त्योहार को मनाने के पीछे कुछ न कुछ रोचक कहानी जरूर होती है, वैसे ही मकर सक्रांति पर्व के पीछे भी कहानियाँ छिपी हैं, जिनके बारे में हम यहां बात करने वाले हैं।

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कहानी 1

मकर सक्रांति के इस पावन दिन पर मां यशोदा जी ने संतान प्राप्ति के लिए व्रत रखा था और उन्हें श्री कृष्ण के रूप में संतान की प्राप्ति भी हुई। यही कारण है, कि मकर सक्रांति के इस दिन देश भर की तमाम महिलाएं दूसरी महिलाओं को तिल और गुड़ बांटती है। मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है,

कि भगवान विष्णु से तिल की उत्पत्ति हुई है। यही कारण है कि इसका इस्तेमाल या इसका सेवन करने से हर पापों से मुक्ति प्राप्त होती है और तिल का सेवन करने से शरीर हर बीमारी से सुरक्षित रहता है और शरीर में गर्मी मिलती है।

कहानी 2

भीष्म पितामह महाभारत के महान योद्धा थे, उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान मिला था। जब अर्जुन द्वारा उन्हें बाण लगा तब उसके बाद उन्हें मकर सक्रांति के पावन दिन के महत्व का ज्ञान हुआ और उन्होंने इसी दिन को अपनी मृत्यु के लिए निश्चित किया।

भीष्म पितामह को इस बात की जानकारी हुई कि सूर्य दक्षिणायन होने पर मृत्यु पा चुके व्यक्ति को कभी भी मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है बल्कि उन्हें मृत्युलोक में दोबारा जन्म लेना पड़ता है। इसी वजह से महाभारत के युद्ध के बाद जब सूर्य उत्तरायण हुआ तब भीष्म ने अपने प्राण त्याग दिए और इसी दिन को आज भीष्मष्टमी के नाम से जाना जाता है।

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भारत में मकर सक्रांति का पर्व और संस्कृति

जैसा कि सब जानते हैं,  भारत में मकर सक्रांति का पर्व बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लेकिन देश के अलग-अलग हिस्सों में इस त्यौहार की अलग-अलग मान्यता और परंपरा है। प्रत्येक राज्य और समुदाय में इस पर्व को मनाने की अलग-अलग नियम और रीति रिवाज है, जिनके बारे में यह चर्चा करेंगे –

मकर सक्रांति

भारत के अधिकतर हिस्सों में इस पर्व को मकर सक्रांति के नाम से जाना जाता है जैसे गुजरात राजस्थान झारखंड बिहार छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश आदि खास तौर पर गुजरात और राजस्थान में इस दिन पतंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है जहां बढ़-चढ़कर लोग हिस्सा लेते हैं गुजरात में यह सबसे बड़ा त्यौहार है इस दौरान यहां 2 दिनों की राष्ट्रीय छुट्टी मिलती है

ताइ पोंगल, तिरुनल, उझवर

तमिलनाडु में इस त्यौहार को पुंगल के नाम से जाना जाता है यहां लोग किसानों के फसल काटने वाले दिन के तौर पर मनाते हैं और लोग इस त्यौहार में तिल और गुड़ का सेवन करते हैं फसलों की पूजा करते हैं आदि

खिचड़ी

मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश उड़ीसा आदि बिहार जैसे राज्यों में इस पर्व को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है इस दिन पवित्र नदी में डुबकी लगाने का बहुत महत्व होता है इस दिन इलाहाबाद माघ मेला का आयोजन होता है जो 1 महीने तक चलता है।

शिशुर सेंक्रांत

मकर सक्रांति के इस पर्व को कश्मीरी घाटी यानी जम्मू कश्मीर के कुछ क्षेत्रों में शिशु सेंक्रांत के नाम से मनाया जाता है इस दिन लोग तेल गुड़ का सेवन करते हैं और रम सूर्य देव का नमस्कार करते हैं

पौष संक्रांति

पश्चिम बंगाल में मकर सक्रांति को पौष संक्रांति के नाम से जाना जाता है इस दिन यहां गंगासागर में बहुत ही बड़ी मेले का आयोजन किया जाता है साथ ही साथ यहां स्नान के बाद तिल दान करने की प्रथा वर्षों से चली आ रही है।

भोगाली बिहू, माघ बिहू

असम के गांव में मकर सक्रांति के इस पर्व को माघ बिहू के नाम से जाना जाता है यहां के लोग इस दिन बहुत ही धूमधाम से मकर सक्रांति के पर्व को मनाते हैं।

मकर संक्रमण

कर्नाटका में मकर संक्रांति के पर्व को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है इस दिन यहां लोग सबसे पहले स्नान करते हैं पूजा करते हैं और फिर तिल और चूड़ा का सेवन करते हैं और यहां की मान्यता है कि जरूरतमंदों और ब्राह्मणों में के बीच कपड़े तथा तिल का दान की करें।

उत्तरायण

कुछ समुदाय के लोग तथा गुजरात और उत्तराखंड में रहने वाले कुछ लोग मकर सक्रांति को उत्तरायण के नाम से जानते हैं इस दिन के यहां लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं और इन लोगों के बीच तिल और गुड़ का दान करते हैं

लोहड़ी

लोहड़ी का पर्व विशेषकर पंजाबी समुदाय के लोग बनाते हैं यह मकर सक्रांति का ही पर होता है लेकिन पंजाब में लोग इसे लोहड़ी के नाम से जानते हैं इस दिन पंजाब के किसान अपनी फसलों को काटना शुरू करते हैं और उसी की पूजा अर्चना करते हैं।

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विदेशों में मकर संक्रांति का त्योहार और उनके अनोखे नाम

मकर सक्रांति का पर्व न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन फर्क यह है, कि बाहरी देशों में मकर सक्रांति के त्योहार को अलग-अलग नामों से जाना जाता है तथा अलग-अलग देशों के लोग इस पर्व को अलग-अलग तरीकों से मनाना भी पसंद करते हैं। यहां हम कुछ ऐसे ही देशों के नाम बता रहे हैं, जहां मकर संक्रांति का त्यौहार बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है –

नेपाल

नेपाल के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग रीति-रिवाजों के अनुसार धूमधाम से मकर सक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है। वहां के किसान अच्छी फसल के लिए भगवान इस दिन को शुक्रिया करते हैं तथा अपनी अनुकंपा को हमेशा लोगों पर बनाए रखने के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। नेपाल में मकर सक्रांति को माघे-संक्रांति या सूर्योत्तरायण के नाम से जाना जाता है। वहां के थारू समुदाय के लोग मकर सक्रांति को माघी कहते हैं। इस दिन यहां के लोग तिल, शर्करा घि और कंदमूल खाकर तथा नदियों के संगम या तीर्थ स्थलों पर नहा कर इस पर्व को मनाते हैं।

म्यांमार

म्यांमार में मकर सक्रांति का पर्व 1 दिन नहीं बल्कि तीन-चार दिन लगातार चलता है। यहां इस दिन को लोग बहुत धूमधाम से नए साल के आने की खुशी में मनाते हैं। यह एक बर्मी नववर्ष उत्सव है जो ज्यादातर अप्रैल के मध्य में मनाया जाता है। म्यांमार में मकर सक्रांति के इस पावन पर्व को थिंग्यान के नाम से जाना जाता है।

श्रीलंका

श्रीलंका में इस पर्व को उजाहवर तथा थिरुनल के नाम से जाना जाता है। हालांकि श्रीलंका में काफी बड़ी संख्या में तमिलनाडु के लोग भी रहते हैं, इसी कारणवश यहां इस पर्व को पोंगल के नाम से भी जाना जाता है। वैसे श्रीलंका में मकर संक्रांति मनाने का तरीका व रीति रिवाज भारतीय संस्कृति से थोड़ी अलग होती है।

थाईलैंड

थाईलैंड में मकर संक्रांति का त्योहार, सोंक्रान के नाम से मनाया जाता है। इस दिन को पारंपरिक थाई नव वर्ष के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है, यही कारण है, कि इस दिन थाईलैंड में नेशनल होलीडे होता है और हर साल यह त्योहार 13 अप्रैल को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। थाईलैंड में इस दिन बड़ों को सम्मान देने की प्रथा है।

कंबोडिया

कंबोडिया के लोग इस पर्व को नए साल के आने और साल भर खुशहाली और अच्छाई की कामना के लिए धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। कंबोडिया में मनाए जाने वाले मकर संक्रांति के पर्व मोहा संगक्रान के नाम से जाना जाता है। यहां इस दिन आपको भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी।

मकर संक्रांति शायरी हिंदी में | Makar Sankranti Shayari |

तिल हम है, और गुड़ आप,
मिठाई हम है, और मिठास आप,
साल के पहले त्योहार से हो रही है शुरुआत,
आपको हमारी तरफ से ढेर सारी मुबारकबाद!

"मकर संक्रांति की शुभ कामनाए "
आप पर सूर्य देवता के, 
आशीर्वाद की वर्षा हो,
और आपका जीवन ख़ुशी की,
अनन्त सूर्य किरणों से भार जाए !

"मकर संक्रांति की शुभ कामनाए "
काट ना सके कभी कोई पतंग आपकी, 
टूटे ना कभी डोर विश्वास की, 
छु लो आप जिंदगी की सारी कामयावी,
जैसे पतंग छूती है ऊचाईया आसमान की !

"मकर संक्रांति की शुभ कामनाए "

मकर संक्रांति Whats-app Status हिंदी में | Makar Sankranti Whatsapp Status |

हवाए हो गयी है सर्द, 
आओ धुप में कुछ पल बिता ले, 
कहे कुछ अपने मन की 
रिश्तो पर जमी बर्फ पिघला ले, 
चटक से तोड़े मूंगफली फैलाये छिलके छत पर कुछ दाने खा ले, 
बातो के तिल का ताड नही, 
तिल में थोडा गुड़ मिला ले !

"मकर संक्रांति की शुभ कामनाए "
पीले पीले सरसों के फुल, 
पिली, उड़े पतंग,
रंग बरसे पिला और छाए सरसों सी उमंग,
अपे जीवन में रहे, 
सदा वसंत के रंग !

"मकर संक्रांति की शुभ कामनाए "

निष्कर्ष

आज के इस पोस्ट में हमने मकर संक्रांति का महत्व, मकर सक्रांति की पूजा विधि और मकर सक्रांति की पौराणिक कथाएं व कहानियो के बारे मे पूर्ण जानकारी प्रदान की है। साथ ही हमने विदेशों में मकर संक्रांति का त्योहार किस नाम से मनाया जाता है, उसके बारे में भी जानकारी दी है।  उम्मीद करते हैं, हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको पसंद आई होगी और आपको बहुत कुछ नया सीखने को मिला होगा। अंत में आपसे निवेदन है, कि नीचे कमेंट के ज़रिए इस पोस्ट से संबंधित अपनी राय हमें जरूर दें और इसे अपने करीबी मित्रों के साथ अवश्य शेयर करें।

मकर संक्रांति FAQ

1 . मकर संक्रांति में किस देवी देवता की अर्चना की जाती है?

Ans – मकर संक्रांति में भगवान सूर्य की पूजा अर्चना की जाती है।

2 . वर्ष 2023 में मकर संक्रांति का त्योहार कब है ?

Ans – वर्ष 2023 में मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा।

3 . मकर संक्रांति की क्या परंपरा प्रचालित है?

Ans – मकर संक्रांति में तिल गुड़ खाने व दान करने की परंपरा देश भर में प्रचालित है।

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