101 Ramayana Dialogues In Hindi

Ramayana Dialogues In Hindi :- रामायण एक ऐसी कथा है जो बिल्कुल ही असाधारण है। इस कथा में भगवान राम और माता सीता की जीवनी के बारे में बताया गया है। यह कथा लोगों को मर्यादा के साथ-साथ वचन का पालन करना भी सिखाती है। भगवान राम और सीता के जीवन के बारे में हमें सबसे ज्यादा रामानंद सागर के रामायण से जानने को मिलता है जिसमें उच्चतम प्रकार के डायलॉग्स का इस्तेमाल किया गया है। और आज हम आपके लिए रामायण के कुछ ऐसे ही डायलॉग लेकर आए हैं जो हमें कुछ ना कुछ सिखाती है। तो चलिए आज के इस आर्टिकल द्वारा हम Ramayana dialogue script in Hindi के बारे में जानते हैं।

सक्सेस कोट्स हिंदी में

101 Ramayana Dialogues In Hindi | रामायण के 101 अनमोल वचन जो आपको जानना जरूरी है |

यदि तुम्हारा शत्रु कोई देवता है तो मैं उसे भी मार दूंगा. बेचारे कीड़े-मकोड़े के समान नर-नारी तो कोई चीज ही नहीं हैं. हे सुंदरी तू तो मेरे स्वभाव को जानती है कि मेरा मन सदा तुम्हारे चंद्रमा रूपी मुख को चकोर की तरह देखा करता है।

Ramayana Dialogues In Hindi
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तुम प्रसन्नतापूर्वक अपनी मनचाही बात मांग लो और अपने मनोहर अंगों को आभूषणों से सजा लो. तुम इस अवसर को तो समझो और जल्दी से इस बुरे वेश को त्याग दो. यह सुनकर कैकेयी हंसती हुई उठी और गहने पहने लगी.

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प्रभु यदि रण में हमें कोई ललकारे तो क्षत्रिय धर्म के अनुसार हम उससे अवश्य लड़ेंगे चाहे वो स्वयं काल ही क्यों ना हो परंतु हम रघुवंशियों का यह भी धर्म है की हम गऊ, ब्राह्मण और स्त्री पर हाथ नहीं उठाते।

ब्राह्मण हमारे लिए सदा पूजनीय है और उनकी सेवा करना हमारा परम धर्म है।

तुम हमें शास्त्र सुना रहे थे, अरे शास्त्र में तो ये भी लिखा है यदि भई ने कोई पाप भी किया हो, वह अपराधी भी हो तब संकट में उसका साथ दे वही भाई कहलाने योग्य होता है।

जाओ जाकर सो जाओ रावण को अपनी आन निभाना और शान के साथ जीना और मरना दोनो आते हैं। जाओ…

मोटिवेशनल कोट्स और डायलाग जो आपको झिंझोर कर रख देगी

अपराधी को तो सिक्षा सभी दे सकते हैं, परंतु भाई वही है जो संकट में साथ खड़ा रहे सहायता करे सिक्षा ना दे,

रामायण के अनमोल वचन

Ramayana Dialogues In Hindi
रामायण शायरी हिंदी

कोई किसी की मृत्यु का कारण नहीं होता काल स्वयं मृत्यु का कारण बना लेता है  कौनसी डाली ऐसी है  जिसपर फूल खिला, फला और डाल से नहीं गिरा  कौनसी जीवन ज्योति ऐसी है  जो प्रज्वलित हुई और भुझी नहीं 

मैं, तुम, पृथ्वी पर जन्मा प्रत्येक जीव  सब एक दिन काल के काल में चले जाएंगे  ये विधि का विधान है  कि धरातल पर स्थित चल अचल  सब का अंत एक ना एक दिन अवश्य है।”

राम सुना था कि रघुवंशी बड़े वीर होते हैं किंतु तुम्हें देख के वह धारणा दूर हो गयी तुम तो किसी राजा के दरबार में बिदावनी सुनाने वाले भांडों और पंडितों की भाँति कोई उपदेशक लगते हो।

अरे जो वीर होते हैं वह धनुष बाण से बात करते हैं ज़बान से नहीं। और ये कंधे पर जो धनुष रखा हुआ है ना वह कोई शोभा की वस्तु नहीं होता। उस से तीर चलाए जाते हैं, ऐसे।”

तुम हमें शास्त्र सुना रहे थे, अरे शास्त्र में तो ये भी लिखा है यदि भई ने कोई पाप भी किया हो, वह अपराधी भी हो तब संकट में उसका साथ दे वही भाई कहलाने योग्य होता है।

अपराधी को तो सिक्षा सभी दे सकते हैं, परंतु भाई वही है जो संकट में साथ खड़ा रहे सहायता करे सिक्षा ना दे, जाओ जाकर सो जाओ रावण को अपनी आन निभाना और शान के साथ जीना और मरना दोनो आते हैं। जाओ…

शास्त्र कहता है कि सामर्थ्यवान को क्षमा का गुण नहीं त्यागना चाहिए। दया ही वीर की शोभा होती है।  

देवगुरु ब्रहस्पति ने राजनीति की शिक्षा देते हुए कहा है निजी क्रोध की अभिव्यक्ति के लिए किसी एक व्यक्ती को पाप का दंड देते हुए यदि उसकी प्रजा और निर्दोष प्राणियों का सर्वनाश होने की संभावना हो तो वीर पुरुष निज रोष का क्षमन करके क्षमा के गुण को अपनाए और शत्रु को अपने पाप का प्रायश्चित करने का अवसर दे यही राजधर्म है, यही राजनीति है।

Ramayana Quotes In Hindi

Ramayana Dialogues In Hindi
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तुम अपना मन मुझसे हटा लो नहीं तो इसी पाप की आग में तुम अपनी स्वर्ण लंका समेत भस्म हो जाओगे।

तुम्हें श्री राम की शक्ति का आभास भी नहीं है। उनके धनुष की टंकार मात्र से लंका द्वीप बीच समुद्र के गड में डूब जाएगा एक तुम्हारे पाप के कारण सारे संसार में राक्षस कुल का विनाश हो जाएगा।

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तुम जानते थे के युद्ध में उनसे पार पाना असम्भव था। जैसे एक कुत्ता दो शेरों के सामने आने से डरता है। उसी प्रकार तुम भी उनके होते हुए हमारी कुटिया में पैर ना रख सके।

जिन शक्तियों पर तुम घमंड कर रहे हो वो शक्तियाँ तेरे पाप क्रमों के कारण कलंकित और भ्रष्ट हो चुकी हैं। ना केवल शक्तियाँ एवं उन शक्तियों का वरदान देने वाले ब्रह्मा और शिव को भी तेरे पापों ने कलंकित कर दिया है।

याद रखो जब शक्ति भ्रष्ट हो जाए और उसके देवता कलंकित तो शक्ति में बल नहीं रहता। सत्य अकेला हो तो भी भ्रष्ट शक्तियों की अपर सेना उसके सामने पराजित हो जाती है।

वैभव शक्ति सम्पत्ति के मोह में आकर जो स्त्री अपना पतिव्रत धर्म भूल जाए, उससे अधर्म और कोई नहीं हो सकता। मेरे लिए वो बनवासी वीर ही तीनों लोकों की सम्पत्ति से अधिक मूल्यवान हैं। उस महान पुरुष सिंह के सामने तुम मुझे एक कायर तुच्छ श्रिंघा लगते हो, जो चोरों की भाँति आकर एक असहाये अबला को छल से उठा ले गए।

धिक्कार है तुम पर तुम्हारे ऐश्वर्य वैभव पर तुम्हें जनम देने वाली माता पर, तुम्हारे पूर्वजों पर तुम्हारे कुल पर धिक्कार है, एक बार नहीं हज़ार बार धिक्कार है”

Ramayana Famous Dialogues In hind

Ramayana Dialogues In Hindi
रामायण डायलॉग इन हिंदी

महारानी मंदोदरी हमारे शरीर नश्वर हैं आत्मायें अमर हैं। इसलिए यह शरीर रहे ना रहे इसका शोक ना करो। केवल इतना विश्वास रखना की तुम्हारा रावण कभी नहीं मारेगा! मरता वही है जिसकी कीर्ति मर जाती है। रावण की कीर्ति दिग्दिगांतर में अमर रहेगी। रावण अमर रहेगा!

उस वनवासी राम का बाण जब कमान पर चढ़ता है तब चतुर्मुख ब्रह्मा के समान दिखाई देता है और जब धनुष से छूटता है तब सहस्त्र मुख विष्णु के समान हो जाता है। और जब प्रहार करता है तब रुद्र के समान प्रलयंकारी बन जाता है।

नाना जी हमने इंद्र के कुलिश शिव के त्रिशूल और विष्णु के सुदर्शन चक्र को अपनी ओर आते देखा है। परंतु उनके और राम के बाणों में अगान भेद है। राम के बाणों की गति इतनी तीव्र है की कब धनुष से छूटते हैं कब निशाने पर लगते हैं। देवताओं की दृष्टि भी उसे नहीं पकड़ पाती तो फिर इन त्रवत चक्षुओँ से कैसे दिखाई देंगे। मानो तीनों लोकों की शक्तियाँ उसमें समा गयी हों।”

राम यदि नर है तो वो आज मेरे हाथों मारा जाएगा और यदि भगवान है तो रावण का वध करने में, उसकी जितनी ख्याति होगी। उतनी ही ख्याति युग युगांतर तक रावण की भी होगी।

सौंदर्य चंद्रमा को छोड़ सकता है, हिमवान बिना बर्फ के हो सकता है, समुद्र अपनी सीमाओं का उल्लंघन कर सकता है लेकिन मैं कभी भी अपने पिता के दिए वचन को नहीं तोड़ सकता.

उत्साह में बड़ी शक्ति है. उत्साह से अधिक और कोई शक्ति नहीं है. इस दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है जो एक उत्साही व्यक्ति ना प्राप्त कर सके.

मैं श्री राम भक्त हनुमान हूं। पापी रावण! सीता माता को छोड़कर श्री राम की शरण में चल… वह तुम्हें क्षमा कर देंगे’,

मेघनाथ के लिए मैंने सरे ग्रहों को 11 वे स्थान पर बैठाया था। मुझ रावण ने यमराज और शनि को अपना बंदी बनाया था।

मुझे बस विस्वास घात के तिरो ने भेदा था। मुझ ज्ञानी से ज्ञान लेने खुद राम ने लक्छिमण को भेजा था।

रामायण डायलॉग इन हिंदी

जमी धुल मेरे नाम से हट जाएगी। जब मेरे वक्त की आधी चल जाएगी। ये जो आज नफरत नफरत करते है, ये भी आज रावण रंग में रंग जायेगे। एक वक्त बाद ये भी भीड़ का हिस्सा बन जायेगे।

रावण मिट जाएगा परंतु झुकेगा नहीं। त्रिलोकेश्वर जिस राम का तुम साथ दे रहे हो। वह राम भी देख लेगा की रावण के साथ युद्ध करना कितना कठिन कार्य है। यदि जीवित रहा फिर आकर तुम्हारे दर्शन करूंगा।

राक्षसराज! तुम्हारे मुख से ऐसी दुःखदायिनी बातें अनेक बार निकली हैं और मुझ अभागिनी को वे सारी बातें सुननी पड़ी हैं।

भद्रसुख! तुम्हारा भला हो। तुम अपना मन मेरी ओर से हटा लो। ‘मैं परायी स्त्री हूँ, पतिव्रता हूँ। तुम कभी किसी तरह मुझे नहीं पा सकते। एक दीन मानव कन्या होने के कारण मैं तुम जैसे पिशाच की भार्या होने योग्य नहीं हूँ।

मुझ विवश अबला को बलपूर्वक अपमानित करके तुम्हें क्या सुख मिलेगा ? तुम्हारे पिता ब्राह्मण हैं। ब्रह्मा से उत्पन्न होने के कारण वे ब्रह्मा के ही समान हैं।

तुम भी लोकपालों के समान हो, फिर धर्म का पालन क्यों नही करते? महेश्वर सखा राजराज धनाध्यक्ष प्रभु कुबेर को अपना भाई बता रहे हो, तो भी यहाँ ऐसा बर्ताव करते हुए तुम्हें लज्जा क्यों नहीं आती?’।

‘सीते! भले ही कामदेव मेरे शरीर को पीड़ा देता रहे, परंतु में तुम जैसी मनोहर मुस्कान वाली सुन्दरी युवती का राजी किये बिना तुम्हारे साथ समागम नहीं करूँगा। ‘तुम आज भी उस मनुष्य राम के प्रति ही, जो हम लोगों का आहार है, अनुराग दिखाती जा रही हो; ऐसी दशा में मैं क्या कर सकता हूँ ?’

भरत हमारे पिता जाने से पहले ये आज्ञा दे गए हैं कि एक पुत्र वन में जाए तथा दूसरा राजा बने. उनकी इस आज्ञा का पालन करना ही हम सब का धर्म है।

धर्म व्यापार नहीं होता भरत जो वस्तुओं का अदल-बदल कर लिया जाए धर्म अति कठोर और व्यक्तिगत होता है। यदि हर प्राणी अपना कर्तव्य एक दूसरे के कंधे पर डाल दे, तो सृष्टि में अनाचार फैल जाएगा।

जैसे मूर्खों के सामने विनय दिखाना और कुटिल के संग प्रीति करना व्यर्थ होता है। उसी प्रकार मोह ममता में फँसे हुए को ज्ञान का उपदेश देना और ऊसर धरती में बीज बोना विफल होता है।

हे मृगनयनी! मुझे देख कर तू अपने शरीर को छिपाने का प्रयत्न क्यों कर रही है। स्मरण रख, तेरी इच्छा के बिना मैं कदापि तेरा स्पर्श नहीं करूँगा।

तू मुझ पर और मेरे कथन पर विश्वास रख और इस प्रकार दुःखी हो कर अश्रु मत बहा। तेरी यह मलिन, आभूषणरहित वेश-भूषा देख कर मुझे अत्यधिक पीड़ा होती है। तू संसार की सुन्दरियों में शिरोमणि है।

हे लंकेश! तुम्हारे जैसे विद्वान के लिये यह उचित होगा कि तुम अपनी मर्यादाओं का उल्लंघन न करो और मुझसे अपना मन हटा कर अपनी रानियों से प्रेम करो।

रामायण की पंक्तियां

मैं उत्तम कुल में जन्म लेने वाली पतिपरायणा पत्नी हूँ, तुम मुझे मेरे सतीत्व से कदापि विचलित नहीं कर सकते। अपने प्राण रहते मैं तुम्हारे नीचता से परिपूर्ण प्रस्ताव को किसी भी दशा में स्वीकार नहीं कर सकती।

क्या इस लंका में ऐसा कोई समझदार व्यक्ति नहीं है जो तुम्हें इस साधारण सी बात का बोध कराये? तुम तो नीतिवान बनते हो, फिर नीति का यह वाक्य कैसे भूल गये कि जिस राजा की इन्द्रियाँ उसके वश में नहीं रहतीं, वह चाहे कितना ही ऐश्वर्यवान हो।

हे दुर्बुद्धे! तूने अभी तक मुझे पहचाना नहीं है। मैं तेरे ऐश्वर्य, राज्य, धन-सम्पत्ति के लोभ में नहीं फँस सकती। तेरा यह कहना भी एक व्यर्थ का प्रलाप है कि मैं रघुकुलमणि रामचन्द्र जी से नहीं मिल सकती। अरे मूर्ख! वे तो सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं। मुझे कोई उनसे अलग नहीं कर सकता।

हे प्राणनाथ! आप इस कुरूप सीता के लिये क्यों इतने व्याकुल होते हैं? भला इसके फीके पतले अधरों, अनाकर्षक कान्ति और छोटे भद्दे आकार में क्या आकर्षण है? आप चल कर मेरे साथ विहार कीजिये। इस अभागी को मरने दीजिये।

महाराज रावण मैं आपको अंतिम चेतावनी देता हूँ। की जिन्हें आप सीता समझ रहें हैं वो विष मिले भोजन के समान आपकी मृत्यु का संदेश है। सीता का रूप धारण करके आपके पास काल की फाँसी आ पहुँची है।

महाराज रावण ये अंतिम चेतावनी है नहीं तो मरने के लिए तैयार रहो। मैं स्वयं भी तुम्हें मृत्यु दंड देने की शक्ति रखता हूँ। परंतु मुझे श्री राम की आज्ञा नहीं। वैसे भी ये गौरव श्री राम को ही मिलना चाहिए”

निष्कर्ष

इस लेख में हमने 101 Ramayana Dialogues In Hindi के बारे में जानकारी दी है, और उम्मीद है कि यह लेख आपको काफी पसंद आया होगा। यदि आप इसी प्रकार के और डायलॉग्स पाना चाहते हैं तो हमें कमेंट करके बताएं। और बेल आइकॉन को प्रेस करना ना भूले |

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